गुरुवार, 21 अगस्त 2008

पुकार

कतरा-कतरा दस्ते दु‌आ पे न्यौछावर न होता
जो तेरे शाने का को‌ई हिस्सा हमारा भी होता
हम तो मस्त सरशार थे अपनी ही मस्ती में
यूं बज़्म में बैठाकर तुमने गर पुकारा न होता

1 टिप्पणियाँ:

HEMU ने कहा…

गाँधी और भगत सिंह के बीच फसा हेमू
पूछता है सवाल तो
बिलबिलाते है कीड़े
संस्कृति के रहनूमाओ के मन में
और इतिहास मुह काला लिए
आ जाता है सामने
बापुवादियो की कुर्सी की चाह,भगत सिंह की आह,तिरंगे की राजनीती
आज छोड़ आया मै भी भगत सिंह के आदर्शो को
अलीगढ के बूचड़खाने में.....
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह


वाङ्मय हिन्दी साहित्यिक पत्रिका by डा0 फ़िरोज़ अहमद