गुरुवार, 21 अगस्त 2008

दुहाई

ज़मीं आस्मां से पूछती है
मेरे आंचल में सारी कायनाथ रहती है
चांद तो दागी है फिर भी
खूबसूरती की दुहाई
इसी से क्यों दी जाती है

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वाङ्मय हिन्दी साहित्यिक पत्रिका by डा0 फ़िरोज़ अहमद