ज़मीं आस्मां से पूछती है
मेरे आंचल में सारी कायनाथ रहती है
चांद तो दागी है फिर भी
खूबसूरती की दुहाई
इसी से क्यों दी जाती है
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गुरुवार, 21 अगस्त 2008
दुहाई
विधा: शेर
प्रस्तुतकर्ता रचना गौड़ ’भारती’ पर 7:44 pm 0 टिप्पणियाँ
असर
पूछे सुबहे विसाल जब हमारा हाल
पसीने से दुपट्टा भीग जाता है
शमां अंधेरो में जलाते है इसका
असर परवानो पे क्यों आता है
विधा: शेर
प्रस्तुतकर्ता रचना गौड़ ’भारती’ पर 7:42 pm 0 टिप्पणियाँ
पुकार
कतरा-कतरा दस्ते दुआ पे न्यौछावर न होता
जो तेरे शाने का कोई हिस्सा हमारा भी होता
हम तो मस्त सरशार थे अपनी ही मस्ती में
यूं बज़्म में बैठाकर तुमने गर पुकारा न होता
विधा: शेर
प्रस्तुतकर्ता रचना गौड़ ’भारती’ पर 7:38 pm 1 टिप्पणियाँ
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