बुधवार, 20 अगस्त 2008

इन्तजाम

हर पल तेरी याद का संजो कर रखा है
सूखा फूल गुलाब का किताब में रखा है
निराधार ज़माने में कुछ आधार रखा है
पत्थरों भरी ज़मीं में कोइ भगवान रखा है
महफिलों में जामों का आतिशांदाज रखा है
पीने वालों ने जिसका गंगाजल नाम रखा है
सुरमई शामों में तेरी यादों का हिस्सा रखा है
मुलाकात के वास्ते कोना कोई खाली रखा है
मिलें फिर जुदा हों ऐसे मिलन में क्या ’भारती’
अगले जन्म में मिलन का इन्तजाम रखा है


वाङ्मय हिन्दी साहित्यिक पत्रिका by डा0 फ़िरोज़ अहमद